हेमंत सरकार नहीं लाएगी नई नियोजन नीति, 2016 से पूर्व की नीति पर ही मिलेगी युवाओं को नौकरी

हेमंत सरकार की कैबिनेट ने रघुवर दास की बनायी नियोजन नीति को तीन फरवरी रद्द कर दिया था और नई नियोजन नीति बनाने का ऐलान किया था, लेकिन अब खबर आ रही है कि हेमंत सरकार नई नियोजन नीति नहीं बनाएगी।
दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक हेमंत सरकार के कैबिनेट ने बीते तीन फरवरी को पुरानी नियोजन नीति को रद्द करने का अपना निर्णय वापस ले लिया है। झारखंड सरकार के सामने अभी कोई नई नियोजन नीति का प्रस्ताव नहीं है।
राज्य के 13 अनुसूचित और 11 गैर अनुसूचित जिलों के लिए रघुवर सरकार के समय लागू की गई नियोजन नीति को कैबिनेट के निर्णय के बाद संकल्प के माध्यम से कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने वापस ले लिया है। उसमें नये सिरे से नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी करने का आदेश दिया गया है, जो 2016 के पूर्व की नियोजन नीति के आधार पर होगी।
इससे गैर अनुसूचित जिलों के जिलास्तरीय पदों के लिए राज्य के किसी जिले के लोग नौकरी के लिए आवेदन कर सकेंगे। साथ ही अराजपत्रित वर्ग ख के पदों पर पूर्व की तरह राज्य के बाहर के भी छात्र आवेदन दे सकेंगे। सरकार के इस निर्णय से झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग को भी अवगत कराया जा रहा है। साथ ही 13 अनुसूचित जिलों के लिए कैबिनेट से हुए निर्णय पर राज्यपाल की सहमति लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। ये 13 जिले पांचवीं अनुसूची में हैं। इससे संबंधित नियोजन नीति पर राज्यपाल की सहमति आवश्यक है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 2016 में इन जिलों के लिए नियोजन नीति बनाते समय भी राज्यपाल की सहमति ली गई थी।
2016 के पूर्व क्या थी नियोजन नीति
जिलास्तरीय पदों पर राज्य के किसी जिले के निवासी किसी जिले में नियुक्ति संबंधी आवेदन दे सकते थे। राज्यस्तरीय अनारक्षित 50 फीसदी पदों पर राज्य के बाहर के लोग भी आवेदन कर सकते थे
उधर ये खबर सामने आने के बाद बीजेपी के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा अबुआ सरकार की नौकरी से झारखंड के बबुआ ही गायब!।उन्होंने आगे लिखा “दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार हेमंत सरकार ने 2016 से पहले की नियोजन नीति लागू कर दी।अब तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरी में झारखंड के स्थानीय लोगों को जिला और राज्य स्तर पर मिलने वाली प्राथमिकता समाप्त हो जाएगी। रघुवर दास जी के नेतृत्व वाली
बीजेपी सरकार ने वर्ष 2016 और 2018 में झारखंड के सभी जिलों के इन पदों को जिलों के स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित कर दिया। हेमंत सरकार ने इसे वापस ले लिया।स्थानीय नीति बनाने के लिए 3 सदस्यीय कैबिनेट सब कमेटी बनाने का निर्णय अगस्त 2020 में लिया गया था।7 महीने बाद भी कोई सुगबुगाहट नहीं है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल रघुवर सरकार ने साल 2016 नियोजन नीति लागू करके 13 जिलों को अनुसूचित और 11 जिलों को गैर अनुसूचित जिला घोषित कर दिया गया था। नियोजन नीति के अंतर्गत अनुसूचित जिलों की ग्रुप C और D की नौकरियों में वहीं के निवासियों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया था। यानी कि अनुसूचित जिलों की नौकरी वहीं के स्थानीय लोग कर सकते थे, जबकि गैर अनुसूचित जिलों की नौकरियों के लिए हर कोई अप्लाई कर सकता था। राज्य सरकार ने यह नीति दस साल के लिए बनाई थी।
रघुवर सरकार की इस नियोजन नीति को सोनी कुमारी ने हाईकोर्ट में चैलेंज कर दिया। लंबे समय तक हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई और फिर इसके बाद कोर्ट ने 21 सितबंर 2020 में राज्य सरकार की नियोजन नीति को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ झारखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई, लेकिन इसी बीच तीन फरवरी को हेमंत सरकार कैबिनेट ने रघुवर सरकार में बनाई गई नियोजन नीति को वापस लेने और इसे रद्द कर नई नीति नियोजन नीति लाने की घोषणा कर दी।