झारखंड सरकार में मंत्री के दो पद रिक्त हैं। एक पद तो पहले दिन से ही रिक्त है, दूसरा 6 अप्रैल को शिक्षा- उत्पाद मंत्री जगरनाथ महतो के निधन से रिक्त हुआ है। लेकिन, लगभग डेढ़ माह बाद भी सरकार के शीर्ष स्तर पर नए मंत्री बनाने को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है। न झामुमो का दबाव है और न ही सहयोगी कांग्रेस की कोई जोर-जबरदस्ती । सरकार भी नया मंत्री बनाने के विवाद से बचना चाहती है। कोई बड़ा विवाद होने तक जैसे चल रहा हैं, वैसे चलने देना चाहती है।
झारखंड सरकार में मंत्री के दो पद रिक्त हैं। एक पद तो पहले दिन से ही रिक्त है, दूसरा 6 अप्रैल को शिक्षा- उत्पाद मंत्री जगरनाथ महतो के निधन से रिक्त हुआ है। लेकिन, लगभग डेढ़ माह बाद भी सरकार के शीर्ष स्तर पर नए मंत्री बनाने को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है। न झामुमो का दबाव है और न ही सहयोगी कांग्रेस की कोई जोर-जबरदस्ती । सरकार भी नया मंत्री बनाने के विवाद से बचना चाहती है। कोई बड़ा विवाद होने तक जैसे चल रहा हैं, वैसे चलने देना चाहती है।
क्यों है असमंजस की स्थिति
जगरनाथ महतो के पुत्र अखिलेश महतो की उम्र पर विवाद है। बताया जा रहा है कि वह मंत्री बनने के लिए जरूरी 25 वर्ष के नहीं हुए हैं। वह सार्वजनिक रूप से इस आरोप का तथ्यात्मक ढंग से खंडन भी नहीं कर रहे हैं। इस स्थिति में झामुमो के लिए नया मंत्री बनाना काफी दुरुह हो गया है, क्योंकि जगरनाथ महतो के निधन से रिक्त हुआ मंत्री पद किसी कुर्मी विधायक के खाते में ही जाना है। इसके कई कारण हैं। पहला तो कुर्मी, मांझी व मुसलिम के बाद झामुमो का सबसे बड़ा वोट बैंक है। उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल से ही किसी को मंत्री बनाना भी झामुमो के लिए बाध्यकारी दिखता है, क्योंकि इस प्रमंडल से पार्टी का कोई भी मंत्री नहीं है, जबकि संथाल, पलामू और कोल्हान से झामुमो के मंत्री हैं। इस स्थिति में उत्तरी छोटानागपुर से तीन ही विकल्प है। स्व. जगरनाथ महतो की पत्नी को पहले मंत्री बनाया जाए, फिर उप चुनाव लड़ाया जाए। या फिर कुर्मी जाति से मथुरा महतो या सुदिव्य कुमार सोनू में से किसी को चुना जाए। उधर, कांग्रेस के भीतर भी मंत्रियों के बदलने की मांग उठ सकती है। इन कारणों से सरकार भी इस विषय को न छेड़ना ही बेहतर समझती है।