कौन है दीप सिद्धू? जिस पर किसानों के ट्रैक्टर मार्च में हिंसा भड़काने के लग रहे हैं आरोप

गणतंत्र दिवस के दिन किसान आंदोलन के नाम पर दिल्ली में हिंसा फैलाने और लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराने में अभिनेता दीप सिद्धू का नाम सामने आ रहा है। पुलिस ने भी इस मामले में जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने 20 से ज्यादा किसान नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया है। उधर एनआईए ने दीप सिंद्धू को नोटिस जारी किया है। वहीं सोशल मीडिया पर दीप सिद्धू की तस्वीर प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी सांसद सन्नी देओल के साथ जमकर शेयर की जा रही है।
किसान संगठन हिंसा के बाद से ही दीप सिंद्धू को इसका जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और इस पूरे मामले की जांच करने की मांग कर रहे हैं। एक्टिविस्ट और नेता योगेंद्र यादव ने मांग की इस बात की जांच होनी चाहिए कि किस प्रकार एक माइक्रोफोन के साथ दीप सिद्धू लाल किले तक पहुंचा था।
कौन है दीप सिद्धू?
दीप सिद्धू बीजेपी सांसद सनी देओल का करीबी माना जाता है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त सनी देओल ने उसे अपने चुनाव कैंपेन की टीम में रखा था। दीप सिद्धू का जन्म 1984 में पंजाब के मुक्तसर जिले में हुआ, फिर उन्होंने आगे लॉ की पढ़ाई की. किंगफिशर मॉडल हंट अवार्ड जीतने से पहले वह कुछ दिन बार के सदस्य भी रहे। साल 2015 में दीप सिद्धू की पहली पंजाबी फिल्म ‘रमता जोगी’ रिलीज हुई. हालांकि उन्हें प्रसिद्धि साल 2018 में आई फिल्म जोरा दास नुम्बरिया से मिली, जिसमें उन्होंने गैंगेस्टर का रोल निभाया है।
सन्नी देओल की सफाई
वहीं दीप सिद्धू के साथ तस्वीर वायरल होने के बाद बीजेपी सांसद सन्नी देओल ने ट्वीट पूरे मामले में स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि “दीप सिद्धू के साथ उनका कोई संबंध नहीं है और वह छह दिसंबर को पहले भी यह स्पष्ट कर चुके हैं।
वीडियो मैसेज के जरिये दी सफाई
दीप सिद्धू ने एक वीडियो मैसेज के जरिये सफाई देते हुए कहा, ‘मेरे खिलाफ संघर्ष कर रहे सभी लोग प्रचार कर रहे हैं कि दीप ने इस आंदोलन को खराब किया, लोगों को भड़काया. पहली बात तो यह है कि जो वहां पर घटना हुई, कल रात सिक्वेंस ऑफ इवेंट जो मोर्चे की तरफ से हो रहे थे, उनको समझिए. पहले सरवन सिंह पंधेर (किसान मजदूर संघर्ष कमेटी, पंजाब के महासचिव) और सतनाम सिंह पन्नू (किसान मजदूर संघर्ष कमेटी,पंजाब के अध्यक्ष) ने मोर्चे के मंच पर आकर यह बात कही कि हम पुलिसवालों की तरफ से दिए रूट पर मार्च नहीं करेंगे, बल्कि दिल्ली के अंदर जाएंगे। उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चे के बीच आम सहमति हुई कि रिंग रोड से जाने वाले रूट को बदलकर पुलिसवालों के दिए रूट पर जाया जाएगा। उसको लेकर भी आप मेरे सभी वीडियो देख लीजिए, उसमें यही बात कही गई है कि एक साझा फैसला लिया जाए।’
उन्होंने आगे कहा, ‘इस वक्त संगत का फैसला कुछ और है और जज्बात कुछ और. सोमवार रात मोर्चे के मंच से नौजवानों ने जोश और होश में इस बात पर रोष भी प्रकट किया कि हम दिल्ली के अंदर जाएंगे, ना की सरकार, पुलिस द्वारा दिए गए रूट पर. इस बात को अनदेखा किया गया. लोगों की असली भावनाओं को अनदेखा किया गया। वहां यही कहा गया कि हम जो कहेंगे, वही करेंगे और संगत को भी वही करना पड़ेगा।