Rabindra Giluwa Kendriya Vidyalaya

चक्रधरपुर, 6 नवंबर। जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा (1-15 नवंबर 2025) के तहत पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय, चक्रधरपुर में गुरुवार को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रसिद्ध युवा समाजसेवी और साहित्यकार रबिन्द्र गिलुवा ने विद्यार्थियों को हो आदिवासी समाज के गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराया।

Rabindra Giluwa in Kendriya Vidyalaya

यह कार्यक्रम विद्यालय के प्रधानाध्यापक विश्वनाथ हांसदा की अनुमति और शिक्षक नील अभिमन्यु के संयोजन में आयोजित हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रधानाध्यापक ने रबिन्द्र गिलुवा का स्वागत पौधा भेंट कर किया और उनका परिचय विद्यार्थियों से कराया।

Rabindra Giluwa KV

अपने संबोधन में रबिन्द्र गिलुवा ने कहा कि सिंहभूम (कोल्हान) पृथ्वी की सबसे प्राचीन भूमियों में से एक है, जिसकी उम्र 3.6 अरब वर्ष तक मानी जाती है। उन्होंने बताया कि हो आदिवासियों की मानकी-मुंडा स्वशासन व्यवस्था इतनी सुदृढ़ थी कि कोई बाहरी शासक कोल्हान पर अधिकार नहीं जमा सका।

गिलुवा ने 1820-21 के हो विद्रोह और 1831-32 के कोल विद्रोह जैसी ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन्हीं संघर्षों के परिणामस्वरूप 1837 में विल्किंसन रूल लागू हुआ। उन्होंने बताया कि 1 जनवरी 1958 और 8 सितंबर 1980 को भी कोल्हान की धरती ने हजारों शहीदों की कुर्बानी दी।

उन्होंने छात्रों से कहा, “हम आदिवासी प्रकृति के साथ जीते हैं – चिड़िया, पेड़ और चींटियों की गतिविधियों से मौसम का हाल पहचान लेते हैं।” कार्यक्रम के अंत में रबिन्द्र गिलुवा ने सभी छात्रों और शिक्षकों को धन्यवाद दिया।