झारखंड में विधानसभा सत्र शुरू होने से ठीक पहले कांग्रेस विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक में पार्टी के भीतर असंतोष खुलकर सामने आ गया। रांची में आयोजित इस बैठक में कई विधायकों ने कांग्रेस कोटे के मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि मंत्री उनकी बातों को महत्व नहीं देते, जिससे क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं और जनता में नाराज़गी बढ़ रही है। इस घटना ने राजनीतिक हलकों में नई सियासी अटकलों को जन्म दे दिया है।
बैठक में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के. राजू, सह प्रभारी सिरीबेला प्रसाद, प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश और विधायक दल के नेता प्रदीप यादव मौजूद थे। विधायकों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि मंत्री उनकी समस्याओं को नहीं सुनेंगे, तो आम जनता के मुद्दों को कैसे हल किया जाएगा। कई विधायकों ने बताया कि क्षेत्रीय योजनाओं, विकास कार्यों और जनता की शिकायतों पर ध्यान न देने से संगठन के भीतर असंतोष बढ़ रहा है।
कांग्रेस विधायकों ने बैठक के दौरान अपने-अपने क्षेत्रों की समस्याओं और लंबित कार्यों का भी उल्लेख किया। इनमें सड़क निर्माण, स्वास्थ्य सेवाएं, विकास योजनाओं की धीमी गति और जनसरोकार से जुड़े मुद्दे प्रमुख रहे। कुछ विधायकों ने सवाल उठाया कि जब मंत्री उनकी बात तक नहीं सुनते, तो कार्यकर्ताओं और जनता का भरोसा कैसे कायम रहेगा।
बैठक के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने विवाद को कमतर दिखाने की कोशिश की और कहा कि बैठक नियमित परंपरा के तहत आयोजित की गई थी, जिसमें विधायक दल को सत्र के दौरान उठाए जाने वाले मुद्दों पर निर्देश दिए गए। उन्होंने बताया कि चर्चा सामान्य थी और सत्र से संबंधित विधायी रणनीतियों पर केंद्रित रही।
विधायक दल के उपनेता राजेश कच्छप ने भी बैठक को सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि परंपरा के अनुसार हर सत्र से पहले विधायक दल की बैठक आयोजित की जाती है और इस बार भी विधायकों को बेहतर काम करने और राज्य हित के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने के निर्देश दिए गए। इस दौरान पिछड़े वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति न मिलने का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठा।
हालाँकि, कुछ विधायकों की खुली नाराज़गी ने बैठक का माहौल बदला और यह स्पष्ट कर दिया कि संगठन के भीतर असंतोष मौजूद है। विधायकों का कहना था कि जनता और कार्यकर्ताओं की समस्याएँ लगातार बढ़ रही हैं, और यदि मंत्री उनकी बातें नहीं सुनेंगे, तो जमीनी स्तर पर पार्टी का भरोसा कमजोर होगा।
इस बढ़ते असंतोष पर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के. राजू ने हस्तक्षेप करते हुए मंत्रियों को निर्देश दिया कि वे विधायकों की समस्याओं को प्राथमिकता दें, नियमित रूप से उनका फीडबैक लें और क्षेत्रीय शिकायतों के त्वरित समाधान की व्यवस्था करें।
यह बैठक झारखंड कांग्रेस के अंदरूनी समीकरणों को उजागर करती है और संकेत देती है कि सत्र से पहले पार्टी के भीतर संवाद और समन्वय की आवश्यकता पहले से अधिक बढ़ गई है।