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गैंगस्टर सुजीत सिन्हा-अनुराग गुप्ता गठजोड़ पर बाबूलाल मरांडी का निशाना, एनआईए जांच की उठाई मांग

Babulal Marandi

रांची। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को प्रेसवार्ता कर राज्य सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने दावा किया कि झारखंड में गैंगस्टर सुजीत सिन्हा और पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता के बीच एक खतरनाक आपराधिक गठजोड़ सक्रिय था, जिसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार का संरक्षण प्राप्त था। मरांडी ने कहा कि यह नेटवर्क न केवल अवैध वसूली, ठेकों और खनन से जुड़ा था, बल्कि इसमें पुलिस प्रशासन के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।

“गिव एंड टेक” फॉर्मूले से हुई थी नियुक्ति

मरांडी ने आरोप लगाया कि अनुराग गुप्ता को डीजीपी पद पर “गिव एंड टेक फार्मूले” के तहत नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा कि “हेमंत सोरेन को बालू, कोयला, पत्थर और शराब के अवैध कारोबार से कमाई का रास्ता चाहिए था और उसे चलाने के लिए अनुराग गुप्ता जैसा ‘वर्दीधारी अपराधी’ चाहिए था।” मरांडी ने बताया कि अनुराग गुप्ता का अतीत भी विवादों से भरा रहा है – मगध यूनिवर्सिटी डिग्री घोटाले से लेकर विभागीय भ्रष्टाचार तक। उन्होंने कहा कि यह गठजोड़ भारत माला प्रोजेक्ट पर नियंत्रण, कोयलांचल शांति समिति, स्टोन चिप्स, जमीन दलाली, और अवैध ठेकों से जुड़ा था। इस नेटवर्क में अनुराग गुप्ता की 40% हिस्सेदारी बताई जा रही है, जबकि बाकी रकम सुजीत सिन्हा और उसके साथियों में बंटती थी।

रिया सिन्हा की गिरफ्तारी से खुला नेटवर्क का रहस्य

मरांडी ने बताया कि 13 अक्टूबर 2025 को सुजीत सिन्हा की पत्नी रिया सिन्हा की गिरफ्तारी के बाद इस गठजोड़ के कई राज सामने आए। रिया के पास से तीन पिस्टल, सात मैगजीन, 13 गोलियां और एक कार बरामद हुई थी। उन्होंने कहा कि पूछताछ और वॉट्सऐप चैट में यह स्पष्ट हुआ कि अनुराग गुप्ता और रिया के बीच एनकाउंटर और वसूली पैसों के लेनदेन की बातचीत हुई थी। यह भी सामने आया कि पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए 21 विदेशी हथियार मोगा (पंजाब) के रास्ते झारखंड मंगवाए गए थे, जिनसे यह गिरोह कारोबारी और ठेकेदारों को धमका कर वसूली करता था।

सीआईडी और एसीबी में भी फैला भ्रष्टाचार

मरांडी ने बताया कि अनुराग गुप्ता एक साथ सीआईडी और एसीबी दोनों विभागों के डीजी थे। उन्होंने आरोप लगाया कि जमीन जांच के नाम पर गठित एसआईटी में गुमनाम याचिकाओं के जरिए भारी वसूली की जाती थी। उन्होंने कहा कि एसएसपी दीपक कुमार और डीएसपी अमर पांडे इस पूरी “लूट टीम” का हिस्सा थे। मरांडी के अनुसार, जब यह नेटवर्क मुख्यमंत्री के नजदीकी लोगों से भी वसूली करने लगा, तब सरकार ने “नुकसान नियंत्रण” के तहत इन अफसरों के तबादले किए और मामला दबाने की कोशिश की।

एनआईए जांच की मांग और हेमंत सरकार पर सवाल

मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उन्हें इस गठजोड़ की जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा, “अगर मुख्यमंत्री में हिम्मत है तो अनुराग गुप्ता के पूरे कार्यकाल की एनआईए से जांच कराएं।”
बात दे की मरांडी ने घोषणा की है कि वे इस मामले में एनआईए को पत्र लिखेंगे और विस्तृत जांच की मांग करेंगे ताकि पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश हो सके।

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