चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी पॉजिटिव ब्लड चढ़ाने के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बड़ी कार्रवाई की है, मुख्यमंत्री ने इस मामले सिविल सर्जन समेत सभी अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है।
मुख्यमंत्री हेमंत ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए बताया की “चाईबासा में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने की सूचना पर पश्चिमी सिंहभूम सिविल सर्जन समेत अन्य संबंधित पदाधिकारियों को निलंबित करने का निर्देश दिया है। पीड़ित बच्चों के परिवारों को 2-2 लाख रूपये की सहायता राशि राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी तथा संक्रमित बच्चों का पूरा इलाज भी राज्य सरकार द्वारा कराया जाएगा”
इसके साथ मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी को निर्देशित करते हुए ट्वीट किया “चाईबासा में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों का संक्रमित होना अत्यंत पीड़ादायक है।राज्य में स्थित सभी ब्लड बैंक का ऑडिट कराकर पांच दिनों में रिपोर्ट सौंपने का काम करे स्वास्थ्य विभाग। स्वास्थ्य प्रक्रिया में लचर व्यवस्था किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी”
BJP ने मंत्री को सस्पेंड करने की मांग
वहीं इस पूरे मामले पर बीजेपी प्रवक्ता अजय साह ने पूरे स्वास्थ्य विभाग को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने मांग की इस मामले में डॉक्टरों के साथ-साथ स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी को भी सस्पेंड कर देना चाहिए, क्योंकि पूरा स्वास्थ्य विभाग लापरवाह तरीके से काम कर रहा है, जिससे लोगों की जान जा रही है।

ये है पूरा मामला
दरअसल हाईकोर्ट के संज्ञान के बाद शनिवार को रांची से स्वास्थ्य विभाग की टीम चाईबासा पहुंची थी। छानबीन के बाद जांच टीम के अधिकारियों ने बताया, सप्ताह भर में सदर अस्पताल के एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) सेंटर पर पांच बच्चे एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं। यह बेहद चिंताजनक है। इसकी जांच कराई जा रही है। सभी बच्चे थैलेसीमिक हैं। उन्हें चाईबासा सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में खून चढ़ाया गया था। इस घटना के बाद से चाईबासा के इस अस्पताल में ब्लड चढ़वाने वाले लोगों में डर का माहौल बन गया है।
चाईबासा के सात वर्षीय थैलेसीमिक मरीज के पिता ने शुक्रवार को पश्चिमी सिंहभूम के डीसी से अपने बच्चे का सदर अस्पताल में एचआईवी पॉजिटिव ब्लड चढ़ाने की शिकायत की थी। पिता ने कहा था कि बच्चे की पॉजिटिव रिपोर्ट के बाद पति-पत्नी ने भी खुद की जांच कराई, जिसमें दोनों निगेटिव मिले थे। पिता के अनुसार 13 सितंबर को सदर अस्पताल में खून चढ़ाया गया था और 18 अक्तूबर को जांच में बच्चा पॉजिटिव आया। इसके बाद डीसी ने जांच का आदेश दिया था। इधर, हाईकोर्ट ने भी स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी जांच का आदेश दिया। शनिवार को रांची विभाग की टीम पहुंचकर पूरे मामले की जांच कर रही है।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर के मेडिसिन के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ निर्मल कुमार के अनुसार, एचआईवी पॉजिटिव बच्चे की अगर नियमित दवा चलती है, तो उसे अगले 15 साल तक कोई परेशानी नहीं होगी। उसके बाद भी अगर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है, तो चिंतित होने की जरूरत नहीं है। दवा के साथ ही पौष्टिक भोजन पर ध्यान रखने की जरूरत है।
