झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को संवेदनशील और जनता-केंद्रित बनाने की दिशा में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफ़ान अंसारी ने एक अनोखी और मिसाल पेश करने वाली पहल की है। मंगलवार को जमशेदपुर स्थित सदर अस्पताल, पूर्वी सिंहभूम में ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने पूरे राज्य में चर्चा छेड़ दी। मंत्री डॉ. अंसारी खुद OPD में बैठकर मरीजों की जांच करते, उनकी समस्याएं सुनते और दवाइयाँ लिखते नज़र आए। एक मंत्री का इस तरह सीधे अस्पताल में पहुंचकर डॉक्टर की भूमिका निभाना जनता के लिए नया अनुभव था और इससे राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में भरोसे का माहौल और मजबूत हुआ है।
यह दृश्य उन मरीजों के लिए आश्चर्य और संतुष्टि का मिश्रण था, जो आमतौर पर अस्पतालों में डॉक्टरों और सुविधाओं की कमी से जूझते हैं। कई लोगों ने कहा कि उन्होंने पहली बार देखा है कि कोई मंत्री न केवल अस्पताल का दौरा करे, बल्कि मरीजों की नब्ज़ टटोलकर उपचार भी करे। डॉ. अंसारी के इस कदम ने साबित कर दिया कि नेतृत्व सिर्फ मीटिंग रूम या फाइलों में नहीं होता, बल्कि जमीन पर उतरकर लोगों के साथ खड़े होने से ही असली बदलाव आता है।
डॉ. अंसारी ने OPD में मरीजों का सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण किया, उनकी समस्याओं को विस्तार से सुना और लिखा कि अस्पताल प्रशासन से लेकर स्वास्थ्यकर्मियों तक सभी को इसी भावना के साथ काम करना चाहिए जहाँ मरीज को प्राथमिकता मिले और अस्पताल सेवा का केंद्र बने। यह पहल राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था में एक सकारात्मक संदेश लेकर आई है कि ऊपर से नीचे तक, पूरे सिस्टम में सेवा और संवेदनशीलता की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री की सक्रियता ने स्वास्थ्य विभाग की छवि को दी नई ऊर्जा
सदर अस्पताल में मंत्री की मौजूदगी ने न केवल मरीजों का उत्साह बढ़ाया बल्कि स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर भी सकारात्मक प्रभाव डाला। अस्पताल कर्मचारी और डॉक्टर भी मंत्री के इस सक्रिय रवैये से प्रेरित नजर आए। विशेषज्ञों का मानना है कि जब विभागीय प्रमुख स्वयं सार्वजनिक सेवाओं में भागीदारी दिखाते हैं, तो पूरा सिस्टम अधिक जिम्मेदारी के साथ काम करने लगता है। यह कदम नीति और व्यवहार के बीच की दूरी को कम करने वाली पहल के रूप में देखा जा रहा है।
डॉ. अंसारी का यह प्रयास झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को और प्रभावी, सुलभ और मानवीय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। उन्होंने साफ कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं केवल बजट या योजनाओं से नहीं सुधरतीं बल्कि नीयत, नेतृत्व और लगातार निगरानी से परिवर्तन संभव होता है। जमशेदपुर से शुरू हुई यह पहल अब पूरे राज्य में चर्चा का विषय बनी हुई है। लोगों का कहना है कि अगर मंत्री इस तरह नियमित रूप से अस्पतालों का औचक निरीक्षण और सहभागिता जारी रखें, तो स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक बदलाव देखने को मिल सकता है।
डॉ. इरफ़ान अंसारी का यह कदम सेवा का संकल्प भी है और सिस्टम को अधिक जवाबदेह बनाने की दिशा में उठाया गया व्यवहारिक कदम भी। राज्य भर में इस पहल को नेतृत्व की नई मिसाल के रूप में देखा जा रहा है – जहाँ मंत्री सिर्फ कुर्सी से नहीं, बल्कि मैदान में खड़े होकर बदलाव की नींव रखते हैं।

