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झारखंड में आदिवासी जमीन की अवैध खरीद-बिक्री पर प्रशासन सख्त, सादा पट्टा वाले मामलों में होगी कार्रवाई

झारखंड में आदिवासी भूमि की अवैध खरीद-बिक्री को लेकर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। यदि कोई व्यक्ति झारखंड में सादा पट्टा के आधार पर आदिवासी जमीन खरीदता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह आश्वासन राज्य के भू-राजस्व मंत्री दीपक बिरुआ ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान दिया।

मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार सीएनटी (Chotanagpur Tenancy) और एसपीटी (Santhal Pargana Tenancy) एक्ट के तहत आच्छादित जमीन की अवैध बिक्री और हस्तांतरण की किसी भी घटना को बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने बताया कि सादा पट्टा के माध्यम से होने वाले अवैध लेन-देन पर विभागीय कार्रवाई तुरंत की जाएगी।

विधानसभा में विधायक राजेश कच्छप ने भू-वापसी सुनिश्चित करने और अन्य समस्याओं के निदान के लिए भू-राजस्व मंत्री को पीठासीन जज बनाने और न्यायालय का संचालन राज्य हित में करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि सीएनटी एक्ट से लगभग 1.5 लाख मामले लंबित हैं और इनके शीघ्र निपटान की आवश्यकता है। मंत्री बिरुआ ने जवाब दिया कि इन मामलों के निष्पादन की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है और जल्द ही परिणाम सामने आएंगे।

शीतकालीन सत्र में विधानसभा की सक्रिय संसदीय गतिविधियां

विधानसभा के शीतकालीन सत्र का समापन गुरुवार को स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने किया। उन्होंने बताया कि पांच से 11 दिसंबर तक चले इस सत्र में राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। कुल 301 प्रश्नों में से 121 अल्पसूचित, 148 तारांकित और 32 अतारांकित प्रश्न शामिल थे। इनमें से अधिकांश प्रश्नों का उत्तर विभागों से प्राप्त हो गया, जबकि कुछ प्रश्न लंबित हैं।

सत्र में कुल 129 शून्यकाल प्राप्त हुए, जिनमें से 94 सदन में पढ़े गए। इसके अलावा 42 ध्यानाकर्षण सूचनाएं आईं, जिनमें से 20 स्वीकार की गईं और 12 का उत्तर सदन में दिया गया। कुल 39 गैर-सरकारी संकल्प सदन के समक्ष पेश किए गए। स्पीकर ने संसदीय मर्यादा का ध्यान रखते हुए कहा कि लोकतंत्र में मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन बहस की कठोरता भाषा की कठोरता में नहीं बदलनी चाहिए।

इस सत्र में भूमि विवाद, आदिवासी अधिकार और अन्य सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर गंभीर बहस हुई। शासकीय कार्रवाई और विधायी निगरानी के संयोजन से सरकार ने यह संदेश दिया कि झारखंड में कानून-व्यवस्था और जनहित की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।

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