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बैलगाड़ी से बारात लेकर दुल्हन को लाने पहुंचा दूल्हा, सोशल मीडिया पर हुआ वायरल

बैलगाड़ी से बारात लेकर दुल्हन को लाने पहुंचा दूल्हा, सोशल मीडिया पर हुआ वायरल

बोकारो की एक शादी इन दिनों सुर्खियों में है, इस शादी की चर्चा हर तरफ हो रही है, अखबार से लेकर टीवी तक में इस शादी की तस्वीरों को दिखाया जा रहा है, ये शादी भले ही आम तरीकें से हुई है लेकिन इस शादी में कई खास लोग भी शामिल हुए है।

दरअसल मौजूद समय दुल्हा अपनी दुल्हन को लाने के लिए महंगी कार में जाता है, कई तो शादी को यादगार बनाने के लिए हेलीकॉप्टर तक से बारात लेकर जाते हैं, लेकिन बोकारो के कसमार के रहने वाले संदीप ने बारात ले जाने के लिए मंहगी कारों की जगह बैलगाड़ी को चुना, उस बैलगाड़ी को बेहतरीन तरीके से सजवाया है, सजावट भी ऐसी की झारखंड़ी रीति रिवाज को भाए, बैलों को पैरों में घूघरों बांधे गए, फिर इस बैलगाड़ी में बैठकर संदीप पूरे धूमधाम से बारात लेकर अपने घर निकले, बाराती डीजे के धून पर नाच रहे तो पीछे संदीप बैलगाड़ी में बड़े शान से बैठकर अपनी शादी को एंजॉय कर रहे थे।

 

करीब तीन किलोमीटर पैदल चलकर बराती जब बारात लेकर दुल्हन के गांव पहुंचे, तो बैलगाड़ी पर बैठे दुल्हे को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, संदीप खुद कोट पेंट पहनकर बैलगाड़ी को हांक रहे थे। शाराती भी दुल्हा के इस अंदाज को देखकर हैरान थे। इस शादी को यादगार बनाने के लिए और दूल्ला दूल्हन को आशीर्वाद देने के लिए इलाके के विधायक लंबोगर महतो भी पहुंच थे।

दरअसल ये शादी अपनी पूरानी सभ्यता को अपनाने का संदेश देने के साथ साथ झारखंड सरकार के नियोजन नीति 60-40 का अनोखा विरोध भी था, बैलागड़ी पर 60-40 नाय चलतो का पोस्टर भी लगाया भी गया था, इस शादी में बैलगाड़ी के साथ साथ 60-40 का ये पोस्टर भी खूब सुर्खिया बंटोर था।

दूल्हे ने कहा रीति-रिवाज को जीवित रखना जरूरी है

वहीं दूल्हा बने संदीप ने कहा कि अपनी संस्कृति और पारंपरिक रीति-रिवाज को जीवित रखना जरूरी है. हमारी संस्कृति से ही हमारी पहचान बनी है। उसी संस्कृति और पहचान को आज के आधुनिक युग में बनाये रखने के लिए बैलगाड़ी पर सवार होकर दुल्हन लाने से बढ़िया और कुछ नहीं है. शादी के बाद दुल्हन बनी कविता भी अपने दूल्हे संदीप के साथ खुशी-खुशी बैलगाड़ी पर सवार होकर अपने ससुराल आई।

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