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कभी थी झारखंड की नेशनल लेवल की तीरंदाज, और आज…..

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कभी थी झारखंड की नेशनल लेवल की तीरंदाज, और आज…..

झारखंड के लोहरदगा की दीप्ति कुमारी ने तीरंदाजी में राज्य का प्रतिनिधित्व कभी नेशनल लेवल पर किया है, लेकिन आज ये अपनी जीविका चलाने के लिए रांची के सड़कों में चाय बेचने को मजबूर है.राज्य में अगर खिलाड़ियों की यही दशा रही तो वो दिन दूर नहीं जब झारखंड के बच्चे खेल जगत में आगे बढ़ने से डरेंगे.दरअलम, एक मैच के दौरान दीप्ति का साढ़े 4 लाख का धनुष टूट गया था, उसके बाद किसी ने दीप्ति की कोई आर्थिक सहायता नहीं की, यहां तक की सरकार ने भी इनकी सहायता नहीं की.दीप्ति अपने धनुष का कर्ज चुकाने के लिए अब सड़कों पर चाय बेचने को मजबूर है.

दीप्ति की कहानी
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, दीप्ति लोहरदगा जिला के राजा बंगला की रहने वाली है.उनके पिता बजरंग प्रजापति किसान हैं. आर्थिक तंगी के बावजूद भी बेटी को पढ़ा-लिखाकर उन्होंने अच्छी शिक्षा दी. दीप्ति कs हुनर को देखते हुए पिता ने कर्ज लेकर उसे सरायकेला खरसावां ट्रेनिंग सेंटर भेज दिया. पिता की आंखों में देखे गए सपने को दीप्ति अपनी कड़ी मेहनत और लगन से साकार कर रही थीं. सरायकेला खरसावां के प्रशिक्षण केंद्र में दीप्ति कुमारी को प्रशिक्षण मिला. इसके साथ दीप्ति लगातार कई नेशनल और स्टेट चैंपियनशिप खेलते हुए आगे बढ़ती रहीं.

धनुष का टूटना
दीप्ति 2013 में वर्ल्ड कप के ट्रायल के लिए कोलकाता गई थी. इस ट्रायल में चयन होने पर उसके आगे खेलने का सपना पूरा होता. लेकिन, इसी दौरान इस सेंटर में किसी ने उसके साढ़े चार लाख रुपये का धनुष तोड़ दिया. धनुष के टूटने के साथ ही दीप्ति के सपनें भी टूट गए. जिसके बाद दीप्ति को निराश होकर वापस लौटना पड़ा. इस हादसे से दीप्ति सदमें में पहुंच गई थी. लेकिन इस दौरान किसी ने उसकी मदद नहीं की. न ही भारतीय तीरंदाजी संघ ने मदद की और ना ही कभी सरकार की ओर से मदद मिल सकी.

कर्ज में ली थी धनुष
दीप्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण उसे धनुष कर्ज में लेना पड़ा था. अब धनुष के पैसे चुकाने के लिए दीप्ति रांची में चाय बेचती है.

दीप्ति की सरकार से गुहार
दीप्ति ने सरकार से गुहार लगाते हुए धनुष और एक जॉब की मांग की है ताकि आने वाले समय में वे राज्य और देश के लिए कुछ कर सके.

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