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झारखंड की श्रेयसी ने किया कमाल, खोज निकाला ‘लंपी’ बीमारी का अचूक इलाज, जानें

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झारखंड की श्रेयसी ने किया कमाल, खोज निकाला ‘लंपी’ बीमारी का अचूक इलाज, जानें

झारखंड में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. यहां के बच्चे हर क्षेत्र आगे बढ़ रहे हैं और पूरे देश में राज्य का नाम रौशन कर रहे है. बोकारो जिले के दो बच्चों ने कमाल कर दिखाया है. नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बोकारो के होलीक्रॉस स्कूल की सातवीं कक्षा की छात्रा श्रेयसी ने मवेशियों में वायरल इंफेक्शन की वजह से होने वाली ‘लंपी’ बीमारी के इलाज का प्राकृतिक तरीका खोज निकाला है. वहीं डीपीएस बोकारो में 10वीं कक्षा के छात्र रूपेश कुमार ने नहीं सुन-बोल पाने वाले लोगों के लिए एक खास सॉफ्टवेयर विकसित किया है. आपको बता दें कि दोनों बच्चे नागपुर में आयोजित 108वें ‘सेशन ऑफ इंडियन साइंस कांग्रेस’ में शामिल हो रहे है।

श्रेयसी ने खोज निकाला ‘लंपी’ बीमारी का इलाज
श्रेयसी बोकारो जिले के होलीक्रॉस स्कूल की सातवीं कक्षा की छात्रा है. उसके पिता रतन कुमार रेलकर्मी हैं और मां स्वर्णलता कुमारी गृहिणी है. श्रेयसी ने मवेशियों में वायरल इंफेक्शन की वजह से होने वाली ‘लंपी’ बीमारी के इलाज का प्राकृतिक तरीका खोज निकाला है। श्रेयसी ने पान पत्ता, काली मिर्च, गुड़, नमक और अन्य प्राकृतिक चीजों के मिश्रण से इस बीमारी का अचूक इलाज ढूंढा है। श्रेयसी ने इस पर अनेकों प्रयोग किए,अंतत: उसका परीक्षण सफल हुआ. श्रेयसी की इस दवा से लंपी से पीड़ित मवेशी को 15 दिनों के भीतर निजात मिल गई। श्रेयसी ने बताया कि आगे चलकर वह मवेशियों के लिए ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ के तहत फार्मेसी का अपना स्टार्टअप शुरु करना चाहती है।
रूपेश ने बनाया अनोखा यंत्र
रूपेश कुमार डीपीएस बोकारो में 10वीं कक्षा का छात्र है. रूपेश बीएसएल कर्मी रविशंकर कुमार एवं बिहार में राजस्व पदाधिकारी सुनीता कुमारी के पुत्र है. रुपेश ने सिर्फ तीन महीने में गूंगे-बहरों के इशारों को आवाज में तब्दील करने का खास सॉफ्टवेयर कंप्यूटर कोडिंग की मदद से तैयार किया है। वह आगे चलकर एक कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहता है. उसका यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय स्तर के बाल विज्ञान कांग्रेस के लिए भी चयनित किया जा चुका है.
दोनों बच्चें झारखंड का नाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर रौशन कर रहै हैं.

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