झारखंड के नेशनल फुटबॉलर आज कर रहे मजदूरी, जानें
राज्य के युवा खेल जगत में जहां दिन-रात मेहनत कर राज्य का नाम रौशन कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार का रवैया इनके प्रति काफी उदासीन है. आज के समय में लोग खेल-कूद से नाम और पैसा कमा रहे हैं. लेकिन झारखंड के खिलाड़ी इस क्षेत्र में अच्छा करते हुए भी मजदूरी करने को बेबस हैं. हम बात कर रहे हैं तोपचांची प्रखंड अंतर्गत लक्ष्मीपुर गांव के रहने वाले झारखंड के एक नेशनल फुटबॉलर दामोदर महतो की. इन्होंने दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए फुटबॉल खेलना छोड़ दिया. राज्य सरकार व्दारा इन्हें ना कोई सहायता और ना ही नौकरी नहीं दी गई.
दामोदर का फुटबॉल करियर
दाममोदर ने अपने फुटबॉल करियर में बहुत से मैच खेले और राज्य के लिए पदक भी जीते.उन्होंने इन टूर्नामेंट्स में राज्य का प्रतिनिधित्व किया है-
2004 में सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप
2004-2005 में रणधीर वर्मा डीएफए चैलेंज शील्ड फुटबॉल टूर्नामेंट
2007 में प्रथम जिला ओलंपिक गेम्स
2008-2009 में राज्य स्तरीय मुख्यमंत्री कप एवं खेल मंत्री कप फुटबॉल प्रतियोगिता
2009-10 में धनबाद जिला खेलकूद प्रतियोगिता
2013 में एनुअल स्पोर्ट्स मीट धनबाद
खेल कोटा में नहीं मिली नौकरी
प्रभात खबर से बातचीत के दौरान दामोदर ने बताया कि वह वर्ष 2009 से 2011 तक समस्तीपुर रेल मंडल की ओर से फुटबॉल खेल चुका है, राज मिल्क पटना की टीम से भी उसने फुटबॉल खेला, धनबाद में लीग मैच बंद रहने के कारण 2014 तथा 2015 में बिहार के गया जिले की टीम से फुटबॉल खेला लेकिन तमाम प्रयास के बाद भी दामोदर को खेल कोटा से नौकरी नहीं मिली. जब उसे इस बात का अहसास हुआ कि अब खेलने से कोई फायदा नहीं है तो वर्ष 2017 में फुटबॉल खेलना छोड़ दिया.
अब करते हैं ये काम
दामोदर अब अपने परिवार का भरण-पोषण के लिए गोमो रेलवे स्टेशन के विद्युत लोको शेड ई-2 सेक्शन में ठेकेदार के अधीन मजदूरी कर रहे हैं. दामोदर विद्युत इंजन में 3 फेस मोटर से जुड़ा काम करते हैं.
खिलाड़ियों को सीधी नियुक्ति का लाभ मिलना चाहिए :दामोदर महतो
दामोदर का कहना है कि-” खिलाड़ियों को सीधी नियुक्ति का लाभ मिलना चाहिए, ताकि खिलाड़ियों का रुझान खेल के प्रति बढ़े. वर्तमान सरकार ने सीधी नियुक्ति का मौका तो दिया है लेकिन गिने-चुने खिलाड़ियों को इसका लाभ मिल सका है.”