झारखंड की इन बेमिसाल बेटियों ने क्रिकेट जगत में बनाया अपना नाम, जानें पूरी कहानी
झारखंड के धनबाद शहर से करीब 35 किमी दूर बलियापुर के एक ही घर की 5 बेटियां झारखंड के लिए खेल रही है। ये झारखंड के लिए गर्व की बात है. खेल जगत में इन पांचों ने अपना परचम लहरा दिया है. लेकिन इस मुकाम को हासिल करने से पहले इन बहनों ने काफी संघर्ष किया, समाज से लड़ी, तब आज इस मुकाम पर पहुंची हैं. इन बहनों की संघर्ष की गाथा फिल्म दंगल की कहानी से थोड़ी मिलती जुलती है.
ये हैं पांच बहनें
दुर्गा, लक्ष्मी ,महारानी सुनीता और अनीता ही वो पांच बहने हैं जो झारखंड क्रिकेट जगत में अपनी पहचान बना चुकी हैं. बताते चलें कि दुर्गा का चयन स्टेट सीनियर महिला वनडे क्रिकेट टीम में हो गया है। लक्ष्मी, दर्गा की छोटी बहन है और लक्ष्मी अंडर-19 इंटर जोनल खेल चुकी है। महारानी स्टेट स्तर पर टेनिस बॉल क्रिकेट खेल चुकी है। सुनीता और अनीता, दोनों दुर्गा की चचेरी बहनें हैं. सुनीता, स्टेट वीमेंस सीनियर टीम का हिस्सा रही है और अनीता अंडर-15 में खेल चुकी हैं।
संघर्ष की कहानी
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट बताती है कि इन पांचों ने यहां तक का सफर तय करने में बड़ी मुश्किलों का सामना किया है.इनके सपनों में इनकी आर्थिक स्थिति तो रुकावट थी हीं साथ ही समाज के लोगों ने भी इनके खेल का विरोध किया.दुर्गा बताती हैं कि- 6 जनवरी 2011 को कोच उनके घर आए थे। पिताजी से उन्होंने कहा था कि वे उनकी बेटियों को क्रिकेट खेलाना चाहते हैं। पिता लुकू मुर्मू ने कोच से कहा था कि उनके पास पैसे नहीं हैं। कैसे खेलेगी, ये देख लीजिए।कोच उसे और उसकी बहनों को सुबह 6 बजे मैदान पहुंचने की बात कहकर चले गए। मैदान 7 किलोमीटर दूर था। घर पर सिर्फ एक साइकिल थी। लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी तीनों बहनें उसी साइकिल पर सवार होकर मैदान पहुंचीं।
लड़कों के साथ की प्रैक्टिस
दुर्गा ने बताया कि क्रिकेट खेलने के लिए उनके पास पर्याप्त सदस्य नहीं थे. उन तीनों ने अपनी-अपनी सहेलियों से इस बारे में बात की, लेकिन सभी ने इनकार कर दिया। अंतत इन्होंने लड़कों के साथ ही अभ्यास करना शुरु कर दिया.
गांव के लोगों ने की शिकायत
लड़कों के साथ खेलने वाली बात से गुस्साए गांव वालों ने इनके घर पर पहुंचकर इनकी शिकायत की और कहा- आपकी लड़की पैंट पहनकर लड़कों के साथ खेलती है, यह ठीक नहीं है। साथ ही इन बहनों को गांव वाले रास्तों पर ही ताने देने लगे.
2016 में मिली पहली सफलता
इन तानों ने सबकुछ मुंह बंदकर के सहा. लेकिन क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा. कहा जाता है ना सब्र और मेहनत का फल मीठा होता है, आखिरकार साल 2016 में इन्हे पहली सफलता मिल ही गई। दुर्गा का चयन अंडर-19 इंटर जोनल महिला क्रिकेट टीम में हो गया। 2018 में अंडर 23 इंटर जोनल व फिर झारखंड सीनियर महिला क्रिकेट टीम में दुर्गा का चयन हुआ। दुर्गा की तरह ही उसकी बहनें भी विभिन्न फॉरमेट में राज्य के लिए खेलीं।
इन बच्चियों ने अपनी मेहनत से अपना मुकाम हासिल कर लिया साथ ही साथ अब ये गांव की अन्य लड़कियों का प्रेरणा भी बन गईं हैं.