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माता-पिता का नाम वोटर लिस्ट से कटने पर क्यों खुश हुए BJP सांसद निशिकांत दुबे? लोकसभा में दी बड़ी वजह

लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान बीजेपी के गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे का बयान कई लोगों के लिए चौंकाने वाला रहा। सांसद ने खुलकर कहा कि वे अपने माता-पिता का नाम वोटर लिस्ट से कटने पर खुश हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि SIR—Systematic Voters’ Education and Electoral Participation—प्रक्रिया के तहत यह हटाया जाना बिल्कुल नियमों के अनुरूप है, क्योंकि उनके माता-पिता अब दिल्ली में रहते हैं और बिहार में वोट देने का अधिकार नहीं रखते।

दुबे ने सदन में कहा कि किसी भी मतदाता का निवास बदलने पर पुराने राज्य की वोटर सूची से नाम हटना पूरी तरह न्यायोचित है। उन्होंने तर्क दिया कि चुनाव व्यवस्था को पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाने के लिए SIR प्रक्रिया आवश्यक है और इसका पालन होना ही चाहिए।

EVM को बताया कांग्रेस की देन, विपक्ष पर निशाना

लोकसभा की चर्चा के दौरान निशिकांत दुबे ने EVM को लेकर विपक्ष के आरोपों का जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन किसी भाजपा सरकार की नहीं, बल्कि कांग्रेस की देन है।
दुबे ने याद दिलाया कि वर्ष 1987 में राजीव गांधी ने इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया था, जबकि 1991 में नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ने EVM को आधिकारिक रूप से अपनाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब उन्हीं ईवीएम पर प्रश्न उठा रही है, जिसे उसने खुद लागू किया था।

SIR से कटे वोट और चुनावी नतीजों पर प्रभाव – दुबे ने दिए आंकड़े

सांसद ने आरोप लगाया कि कुछ सीटों पर SIR प्रक्रिया के कारण वोट कटने से चुनावी नतीजों में बड़ा फर्क आया। उन्होंने सदन में कई उदाहरण रखे—

दुबे के अनुसार ये आंकड़े दिखाते हैं कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने वाली SIR कितनी निर्णायक भूमिका निभाती है।

उन्होंने अंत में कहा कि वे “वोट की राजनीति नहीं, देश की राजनीति” करते हैं और चुनाव व्यवस्था में सुधार जरूरी है ताकि लोकतंत्र और मजबूत हो सके।

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