झारखंड की हेमंत सरकार राज्य में बाइसन (जंगली भैंस) को लाने के लिए मोदी सरकार से अनुमति मांगी है, राज्य प्राधिकरण ने मध्य प्रदेश से इन जानवरों को लाने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है। PTI से बातचीत करते ह एक अधिकारी ने बताया कि प्राधिकरण रिजर्व क्षेत्र में बाइसन की आबादी बढ़ाने के लिए कम से कम 50 मादा बाइसन आयात करने की योजना बना रहा है।

 

पलामू टाइगर रिजर्व (PTR ) में बाइसन के हालिया सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार,रिजर्व क्षेत्र में कुल 68 बाइसन हैं। इनमें 33 मादा, 25 नर और 1.5 साल से 4 साल की उम्र के बीच के 10 बच्चे (Calves) शामिल हैं। इनमें से अधिकांश इस समय छिपादोहर और बेतला क्षेत्रों में केंद्रित हैं। अधिकारी ने बताया कि 1974 में, रिजर्व क्षेत्र में बाइसन की आबादी लगभग 1,500 होने का अनुमान था।

 

पीटीआर (PTR) निदेशक एस आर नटेश ने पीटीआई को बताया,”रिजर्व क्षेत्र में घटते बाइसन का एक सर्वेक्षण किया गया,जिसमें एक रिकवरी योजना और पारिस्थितिकी रिपोर्ट तैयार की गई।” सर्वेक्षण रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 226 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में बाइसन की आबादी कम हुई है,जो उनके संरक्षण के लिए एक बड़ा खतरा है।

 

नटेश ने आगे कहा,”हमने यह भी देखा कि बाइसन में प्रजनन क्षमता भी कम हो गई है। इस स्थिति को सुधारने के लिए, हमें अन्य राज्यों से बाइसन लाने की जरूरत है।” सर्वेक्षण रिपोर्ट ने भी बाहर से बाइसन लाने की सिफारिश की थी। नटेश ने कहा,”पीटीआर प्रबंधन ने मध्य प्रदेश से बाइसन लाने के लिए भारत सरकार से अनुमति मांगी है। 50 मादा बाइसन को लाने की तैयारियां चल रही हैं।”

उन्होंने कहा कि रिजर्व के कोर क्षेत्र में जहां बाघ घूमते हैं,वहां बाइसन मौजूद नहीं हैं। उन्होंने आगे बताया कि बाइसन बाघों के पसंदीदा भोजन में से एक है। निदेशक ने कहा कि बाइसन के आने के बाद,उन्हें कोर क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार,झारखंड से बाइसन के गायब होने के मुख्य कारण शिकार (Poaching), संक्रमण (Infection)और स्थानीय मवेशियों द्वारा आवास में व्यवधान डालना रहे हैं।