झारखंड में वंदे मातरम् को लेकर जारी बहस के बीच राजद के प्रदेश प्रवक्ता कैलाश यादव ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर तीखा हमला बोला है। 8 नवंबर 2025 को जारी एक प्रेस बयान में उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा राष्ट्रगीत के नाम पर लोगों की भावनाओं को भड़काकर “ओछी राजनीति” कर रही है। यादव के अनुसार वंदे मातरम् स्वतंत्रता संग्राम का अभिन्न हिस्सा रहा है, लेकिन भाजपा इसे चुनावी मुद्दा बनाकर हिंदू–मुस्लिम ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है। यादव ने कहा कि यह गीत एकता और प्रेरणा का प्रतीक है, जिसने आज़ादी की लड़ाई में क्रांतिकारियों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई।
इतिहास और आरोप: RSS पर तिरंगा व राष्ट्रगान बहिष्कार का दावा
कैलाश यादव ने अपने बयान में वंदे मातरम् के ऐतिहासिक महत्व का ज़िक्र करते हुए कहा कि इसे बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने वर्ष 1870 में लिखा था, जबकि 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे पहली बार सार्वजनिक रूप से गाया। स्वतंत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका के बाद संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को इसे आधिकारिक राष्ट्रगीत का दर्जा दिया।
यादव ने RSS पर आरोप लगाया कि संगठन ने आज़ादी के बाद 52 वर्षों तक जन गण मन राष्ट्रगान और तिरंगा झंडे का बहिष्कार किया। उनका कहना है कि संघ के कार्यालयों में वर्षों तक तिरंगा नहीं फहराया गया, जबकि आज वही संगठन वंदे मातरम् के नाम पर राष्ट्रभक्ति का दिखावा कर रहा है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में भाजपा – संघ या हिंदू महासभा के विचारधारा वाले व्यक्तियों का कोई बड़ा योगदान नहीं रहा, लेकिन वर्तमान में वे राष्ट्रगीत के मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग कर रहे हैं। यादव के अनुसार यह रणनीति बंगाल और असम के आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, ताकि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का माहौल तैयार किया जा सके।
यादव ने अंत में कहा कि वंदे मातरम् को राजनीतिक हथकंडे के रूप में इस्तेमाल करना राष्ट्रगीत के सम्मान के साथ अन्याय है और इससे समाज में अनावश्यक विभाजन पैदा होता है।