15 राज्यों के मुख्यमंत्री से ज्यादा अमीर हैं झारखंड के CM हेमंत सोरेन, इतनी है संपत्ति !
देश के मुख्यमंत्रियों के संपत्ति को लेकर बड़ा खुलासा किया गया है. जिसमें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भी संपत्ति के बारे में बताया गया. आपको बता दें कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 15 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से ज्यादा अमीर हैं. दरअसल, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से देश के 30 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से जुड़ी रिपोर्ट में खुलासा हुआ. इस रिपोर्ट के अनुसार सीएम सोरेन के पास कुल संपत्ति 8,51, 74, 195 रुपये हैं. साथ ही 2.50 लाख रुपये की उनकी देनदारी भी है.
हेमंत सोरेन की कुल संपत्ति
-साल 2019 के विधानसभा चुनाव में दिए गए हलफनामें के मुताबिक हेमंत सोरेन की कुल संपत्ति 8 करोड़ 51 लाख रुपये थी.
-चुनाव के वक्त उनके पास 25 लाख रुपये कैश था. हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी के अलग-अलग बैंक अकाउंट में 51 लाख 77 हजार रुपये जमा है.
-मोटर व्हीकल के तौर पर हेमंत सोरेन के नाम पर दो कार हैं जिसमें से एक टाटा सफारी है.
-वहीं उनकी पत्नी के नाम पर मारुति क्लॉज और 34 लाख रुपये की ज्वैलरी है.
-हेमंत सोरेन के पास 22 लाख की गैर कृषि योग्य जमीन भी है इसके अलावा उनके पास 75 लाख की रेजिडेशियल बिल्डिंग है.
-वहीं हेमंत सोरेन की पत्नी के नाम पर 4 करोड़ 87 लाख रुपये की तीन कमर्शियल बिल्डिंग है.
इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अधिक अमीर हैं सीएम सोरेन
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की जारी रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, सिक्किम, मिजोरम, दिल्ली, बिहार, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, हरियाणा, केरल और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री से ज्यादा अमीर हैं.
ये हैं सीएम सोरेन से अधिक अमीर
तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, मेघालय, असम, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, पुडुचेरी, नगालैंड, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ज्यादा अमीर हैं.
बताते चलें कि सीएम हेमंत सोरेन ने 12वीं तक पढ़ाई की है. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, हेमंत सोरेन पर 2 आपराधिक मामले भी दर्जहैं. इनमें एक केस आईपीसी की धारा के तहत गंभीर आपराधिक मामलों की श्रेणी में है. हेमंत सोरेन पर आईपीसी की धारा 506 के तहत धमकी देने के आरोप हैं. इसके अलावा एक और केस उन पर दर्ज है, जो आईपीसी की धारा 188 के तहत सरकारी आदेश की अवहेलना से संबंधित है.