विधानसभा से तो पास हुआ, लेकिन कब तक लागू होगी आरक्षण और खतियान आधारित स्थानीय नीति ?
झारखंड की हेमंत सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा से खतियान आधारित स्थानीय नीति और आरक्षण विधेयक को पास कर दिया है, लेकिन अब सवाल उठता है कि इसे राज्य में लागू होने में कितना समय लगेगा ? कब तक यह लागू हो सकेगा ? आईए जानते हैं ?
दरअसल विधानसभा से पास होने के बाद दोनों ही विधेयक राज्यपाल के पास भेजे जायेंगे। विधेयक में ही इसे नौवीं सूची में शामिल करने के बाद इसे लागू करने का प्रावधान जोड़ा गया है। राज्यपाल दोनों ही विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजेंगे, इसके बाद केंद्र सरकार की भूमिका होगी। यह पूरी तरह से राज्यपाल पर निर्भर करता है कि वह कब इसे राष्ट्रपति को भेजेंगे. राज्यपाल के पास इसकी प्रक्रिया पूरी करने की समय सीमा की बाध्यता नहीं है। इसके अलावा राष्ट्रपति के पास यह कब तक रहेगा और कब तक केंद्र इस पर सहमति देगा इसे लेकर भी कोई समय सीमा नहीं है। कुल मिलाकर यह कि इसमें कितना समय लगेगा और कब तक यह लागू हो जायेगा, इस सवाल का जवाब देना मुश्किल है।
विधेयक में क्या संशोधन हुए
विधानसभा में इस विधेयक को रखते ही संशोधन प्रस्ताव सामने आये। इनमें से एक संशोधन को इसमें जोड़ा गया है। इस नियोजन से जोड़ दिया गया है. झारखंड में 1932 या उसके पूर्व की खतियानी पहचान वाले झारखंडियों को ही राज्य में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरी मिलेगी। विधानसभा के विशेष सत्र में सरकार ने झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा तय करनेवाला बिल पास हो गया। सदन में कार्यवाही के दौरान इस प्रस्ताव को जोड़ा गया। दोनों ही विधेयक संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद लागू होंगे। विधायक अमित यादव, डॉ लंबोदर महतो, माले विधायक विनोद सिंह और रामचंद्र चंद्रवंशी ने स्थानीय नीति व आरक्षण विधेयक पर अपना संशोधन प्रस्ताव दिया था।
माले विधायक का संशोधन हुआ स्वीकार
माले विधायक विनोद सिंह के संशोधन को स्वीकार किया गया है। उन्होंने स्थानीयता को परिभाषित करने संबंधी विधेयक की कंडिका-5 में संशोधन की मांग करते हुए इसे नियोजन से जोड़ने की मांग की. सरकार ने सदन की कार्यवाही के दौरान ही इसके अनुरूप एक प्रावधान अलग से जोड़ते हुए इसे मान लिया।
क्या पड़ेगा असर
झारखंड में रहनेवाले या उसके पूर्वजों का नाम 1932 या उससे पहले के सर्वेक्षण-खतियान में दर्ज है, तो वह स्थानीय की परिभाषा में आयेंगे। अगर किसी के पास कागजात नहीं है, खतियान नहीं है या पढ़ने योग्य नहीं है तो ग्राम सभा ऐसे लोगों की पहचान करेगी। स्थानीयता की परिभाषा में शामिल व्यक्ति को राज्य में व्यापार और वाणिज्य के लिए विशेष रूप अधिकार मिलेंगे। इस अधिनियम के तहत स्थानीय व्यक्ति ही थर्ड व फोर्थ ग्रेड में नियुक्ति के पात्र होंगे। साथ ही समय के साथ सरकार इनके लिए नयी योजना लेकर आयी जो इनकी स्थिति में सुधार के लिए होगा।
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