अरबपति इंजीनियर के सहारे मालामाल हुए झारखंड के कई राजनेता और IAS, खुल रहा कच्चा-चिटा
झारखंड में ईडी की गाज लगातार किसी ना किसी अधिकारी या नेता पर गिर रही है. इस बार ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम को घेरे में लिया है. बता दें कि ईडी ने वीरेंद्र राम और उनके करीबियों के 24 ठिकानों पर बीते 21 जनवरी को ईडी ने छापेमारी की थी। इस दौरान जांच एजेंसी ने डेढ़ करोड़ से अधिक के जेवरात और दर्जन भर से अधिक महंगी गाड़ियां बरामद की गई थीं। यह छापेमारी दो दिनों तक चली थी, इसके बाद वीरेंद्र राम को गिरफ्तार कर लिया गया था। वीरेंद्र राम से ईडी अधिकारियों की पूछताछ में कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिससे जांच एजेंसी के कान खड़े गए हो गए हैं।
वीरेंद्र राम ने चीफ इंजीनियर बनने के लिए भी दिए पैसे
ईडी वीरेंद्र राम से कई सवाल उठा रही है. वीरेंद्र राम अब शक के घेरे में हैं कि क्या चीफ इंजीनियर बनाने के लिए वीरेंद्र राम ने पैसे दिए हैं. ईडी यह पड़ताल कर रही है कि वीरेंद्र राम ने चीफ इंजीनियर बनने के लिए कहीं पैसे तो नहीं दिए थे। दरअसल, वीरेंद्र राम ने अधीक्षण अभियंता के पद पर रहते हुए चीफ इंजीनियर का पद हासिल किया था। वह भी तब जब 2019 में घूसखोरी और 2.67 करोड़ की बरामदगी के मामले में उनकी भूमिका एसीबी की जांच मे संदिग़्ध के तौर पर उभरी थी। ऐसे में ईडी को अंदेशा है कि एसीबी की जांच से बचाने व बाद में बड़ा पद देने के लिए भी पैसे का खेल तो नहीं हुआ है। ईडी इस विषय पर भी जांच कर रही है कि किस अधिकारी की वजह से एसीबी की अनुशंसा पर वीरेंद्र के खिलाफ पीई दर्ज करने की कार्रवाई नहीं हुई।
दो दर्जन से अधिक हाईप्रोफाइल लोगों के नाम सामने आए हैं
मालूम हो कि ईडी की पूछताछ में वीरेंद्र राम ने टेंडर मैनेज करने और इसके बदले कमीशन खोरी में दो दर्जन से अधिक हाईप्रोफाइल लोगों के नाम बताए हैं। वीरेंद्र ने अपने स्वीकारोक्ति बयान में जो बातें बतायी हैं, ईडी उसका सत्यापन काफी गहराई से कर रही है। ईडी वीरेद्र राम द्वारा पद पर रहते जारी किए गए सभी ठेकों के बारे में एक-एक कर पड़ताल कर रही है। जांच एजेंसी के अधिकारी यह पता करने में जुटे हैं कि किन-किन ठेकों में किसे लाभ पहुंचाया गया। उसके बदले कितने रकम किसे दी गई। खुद वीरेद्र राम ने कितने की उगाही कमीशन के तौर पर की है.