झारखंड सिपाही भर्ती मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस, जानें क्या है मामला…
झारखंड में 2015 में शुरू हुई सिपाही बहाली पर रिक्त रह गई सीटों पर सर्वोच्च न्यायालय ने झारखंड सरकार और जेएसएससी को नोटिस जारी किया है. नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार और जेएसएससी से सवाल किया है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्षैतिज आरक्षण से संबंधित रिक्त रह गई सीटों पर नियुक्ति क्यों नहीं की गई ?
क्या है मामला
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) ने वर्ष 2015 में सिपाहियों के 7272 पदों पर नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया शुरू की थी. तब 4842 पदों पर नियुक्ति की गई ,शेष 2430 पद खाली रह गए थे. क्योंकि ये सभी पद क्षैतिज आरक्षण के तहत महिलाओं के लिए रिजर्व थे. महिला अभ्यर्थी के नहीं होने के कारण पद रिक्त रह गए लेकिन पुरुष अभ्यर्थियों को क्षैतिज आरक्षण के सीटों पर नियुक्ति नहीं की गई । इस मामले में पुरुष अभ्यर्थियों ने रिट याचिका दायर की थी जिसे एकल पीठ ने खारिज कर दिया था .बाद में अपील याचिका खारिज कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई .वहां भी अभ्यर्थियों की अपील याचिका खारिज हो गई इसके बाद अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की.
अधिवक्ता मनोज टंडन ने प्रार्थियों का पक्ष रखा था
अधिवक्ता मनोज टंडन ने इससे पहले प्रार्थियों की ओर से पक्ष रखा था. अधिवक्ता मनोज टंडन ने अपनी दलील में अदालत के सामने इस तरह के अन्य केस का हवाला देते हुए अपनी बात रखी. अधिवक्ता टंडन ने खंडपीठ को बताया कि क्षैतिज आरक्षण से संबंधित रिक्त सीटों को अगली वैकेंसी में नहीं भेजा जा सकता है. इन सीटों को वर्तमान वैकेंसी में ही भरा जा सकता है. महिला अभ्यर्थियों के नहीं रहने पर पुरुष अभ्यर्थियों जो योग्य हैं जिन्हें क्वालीफाइंग मार्क्स मिला है उनकी नियुक्ति की जा सकती है लेकिन दूसरी वैकेंसी में सीटों को कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जा सकता.
प्रार्थी जितेंद्र शर्मा व अन्य की ओर से एसएलपी दायर की गई है उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए निरस्त करने का आग्रह किया।
इस मामले की सुनवाई जस्टिस अनिरुद्ध बोस व जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ में हुई.