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पूर्वी सिंहभूम की डीसी ने किया ऐसा काम, बदल दी इस बच्ची की जिंदगी, जानें

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पूर्वी सिंहभूम की डीसी ने किया ऐसा काम, बदल दी इस बच्ची की जिंदगी, जानें

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम की डीसी विजया जाधव ने एक मिसाल कायम की है.उन्होंने इस स्वार्थ के युग में मानवता की सच्ची मिसाल पेश की है. दरअसल, डीसी ने एक बच्ची को गोद लिया है,उस बच्ची के माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं. डीसी विजया जाधव ने बच्ची की सारी जिम्मेदारियां अपने कंधों पर ले ली हैं.

डीसी विजया ने 8 साल की सोमवारी सबर को लिया गोद
डीसी विजया ने 8 साल की सोमवारी सबर को गोद लिया है. सोमवारी के पिता लालटू सबर की मौत फरवरी 2022 में टीबी से हो गई थी. इसके कुछ महिनों बाद ही सोमवारी की मां जोगनी सबर की भी जान टीबी ने ले ली. उस वक्त सोमवारी महज 7 साल की थी. वह बिल्कुल अकेली पड़ गई थी. तब जिले की डीसी विजया जाधव ने सोमवारी की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली. आपको बता दें कि सोमवारी की स्कूलिंग नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालय से हो रही है. उपायुक्त ना सिर्फ उसके नियमित पठन-पाठन का ख्याल रखती है बल्कि खानपान, कपड़े ,खिलौने से लेकर तमाम व्यवस्था करती है।

मैं सोमवारी का आजीवन ख्याल रखूंगी :विजया जाधव
प्रभात खबर को विजया जाधव बताती हैं- सोमवारी के रूप में मुझे एक बिटिया मिली है. उस 8 साल की बच्ची से बात करने के बाद जो आत्मविश्वास का संचार मुझ में होता है वह शब्दों में बयां नहीं कर सकती हूं. बैक टू बैक मीटिंग, निरीक्षण, जनता की समस्याओं का समाधान, जनता दरबार, वीआईपी ड्यूटी समेत अन्य कार्यों में व्यस्त रहने के बाद जब कभी थक जाती हूं तो खुद से बात करने का मन करता है तब सोमवारी से मिलने चली जाती हूं, उससे मिलने के बाद जीवन की सच्चाई से सीधा सामना होता है. वह मुझे पूरी आत्मीयता के साथ बड़ी मम्मी कहती है. मैं सोमवारी का आजीवन ख्याल रखूंगी।

ईश्वर होंगे तो जरूर मेरी बड़ी मम्मी के जैसे होंगे: सोमवारी
8 वर्ष की सोमवारी ने प्रभात खबर से बात करते हुए कहा कि- मैंने ईश्वर को नहीं देखा है लेकिन कल्पना करती हूं ईश्वर होंगे तो कैसे होंगे ,सोचती हूं ईश्वर होंगे तो जरूर मेरी बड़ी मम्मी(डीसी विजया जाधव) के जैसे होंगे. मेरे मां-पिता दोनों नहीं है लेकिन अब बड़ी मम्मी पढ़ा रही है ,कोई कमी नहीं है मैं बड़ी होकर टीचर बनना चाहती हूं।

आज राष्ट्रीय बालिका दिवस है इस मौके पर उपायुक्त ने सभी को संदेश दिया कि राष्ट्रीय बालिका दिवस को सिर्फ एक दिवस के रूप में मनाने के बजाय शपथ लेने की जरूरत है कि किसी जरूरतमंद बेटी की मदद जरुर मदद करेंगे.

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