राज्यपाल ने लौटाया 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति बिल, कारण जानें
झारखंड में स्थानीय नीति और नियोजन नीति का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. राज्यपाल रमेश बैस ने राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है.दरअसल, राज्यपाल ने राज्य सरकार की 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को वापस कर दिया है. राज्यपाल ने सरकार से कहा कि -नियोजन नीति की फिर से समीक्षा करें.
विधेयक में कहा गया था कि
बीते 11 नवंबर 2022 को झारखंड विधानसभा में 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक पारित हुआ था। झारखंड सरकार की स्थानीय नीति के मुताबिक- झारखंड का स्थानीय व्यक्ति वही होगा जो भारतीय नागरिक है और झारखंड की क्षेत्रीय और भौगोलिक सीमा में रहता है। उसका या उसके पूर्वजों का नाम 1932 या उससे पहले के खतियान में दर्ज है। इस अधिनियम के तहत पहचाने गए स्थानीय व्यक्ति ही राज्य में थर्ड और फोर्थ ग्रेड के पदों पर नियुक्ति के लिए पात्र होंगे। बता दें कि इस विधेयक को मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा गया था। साथ ही इसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजने का अनुरोध किया था।
राज्यपाल ने कहा-
राज्यपाल रमेश बैस ने जवाब में राज्य सरकार को लिखा कि-” इस विधेयक के प्रावधान सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाईकोर्ट द्वारा पारित कई फैसलों के अनुरूप नहीं है। साथ ही यह भारतीय संविधान के भाग III के अनुच्छेद 14, 15, 16 (2) में प्रदत्त मूल अधिकार से असंगत और प्रतिकूल प्रभाव रखने वाला प्रतीत होता है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 से भी प्रभावित होगा और अनावश्यक वाद-विवादों को जन्म देगा.”
राज्यपाल ने पूर्व के मिलते-जुलते केसों का हवाला देकर भी इस विधेयक की त्रुटियों को गिनवाया. और राज्य सरकार से कहा कि- सरकार, इस विधेयक की वैधानिकता की गंभीरतापूर्वक समीक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि यह संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप हो।