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10 जनवरी को पारसनाथ में होगा आदिवासियों का महाजुटान: लोबिन हेंब्रम

LOBIN HEMBROM

10 जनवरी को पारसनाथ में होगा आदिवासियों का महाजुटान: लोबिन हेंब्रम

झारखंड में पारसनाथ का मामला अब एक नया मोड़ लेते दिख रहा है.पारसनाथ मामले में अब आदिवासियों की एंट्री हो गई है. आदिवासी समाज सरकार के फैसले से नाराज़ हैं. पुराने विधानसभा सभागार में पत्रकारों से बातचीत में विधायक लोबिन हेंब्रम ने बताया कि इस फैसले के विरोध में देशभर के आदिवासी 10 जनवरी को पारसनाथ पहुंचेंगे.

अपने हक के लिए उपवास पर बैठेंगे आदिवासी
विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि 10 जनवरी को पारसनाथ में पूरे देश पर के आदिवासी जुटेंगे और बड़ी सभा की जाएगी. आदिवासी अपनी धरोहर को बचाने के लिए आर पार की लड़ाई के लिए भी तैयार हैं. केंद्र व राज्य सरकार को 25 जनवरी तक अल्टीमेटम दिया है. यदि सरकार ने हमारे मांगे नहीं मानी तो 30 जनवरी को बिरसा मुंडा की धरती उलीहातू और 2 फरवरी को भोगनाडीह में उपवास पर बैठेंगे।

पारसनाथ आदिवासियों का मरांगबुरू है :नरेश मुर्मू
झारखंड बचाओ मोर्चा के संयोजक नरेश मुर्मू के अनुसार, पारसनाथ आदिवासियों का मरांगबुरू है वहां के जाहेरथान में लोग सदियों से पूजा अर्चना करते आए हैं. यह संथाल समुदाय का सबसे पुराना पूजा स्थल है. पारसनाथ मामले में राज्य और केंद्र सरकार दोनों के निर्णय गलत है. केंद्र और राज्य सरकार को आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को नजर में रखते हुए विचार करना चाहिए।

नरेश मुर्मू ने कहा कि आदिवासी इस देश के मूल निवासी हैं और उनके आने से हजारों साल बाद में आर्य आए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि आदिवासी भारत के मूल निवासी हैं. नरेश मुर्मू ने गजट का हवाला देते हुए कहा बिहार हजारीबाग गजट 1957 में यह उल्लेखित है की मरंगबुरू पारसनाथ संथाल समुदाय का पवित्र स्थान है. इसमें यह भी कहा गया है कि वैशाख की पूर्णिमा के समय वहां संथाल समुदाय का तीन दिवसीय सम्मेलन होता है. सरकार के इस फैसले से पूरे बिहार, झारखंड,उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, असम के साथ-साथ नेपाल,बांग्लादेश के भी आदिवासी उद्वेलित हैं. केंद्र व राज्य सरकार फैसले पर पुनर्विचार करें.

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