इंडिया गठबंधन ने कभी स्थानीयता को नहीं दिया तरजीह, जनता सिखाएगी सबक, केएन त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाए जाने पर BJP उम्मीदवार ने ली चुटकी
इंडिया गठबंधन की ओर से आखिरकार लंबे इंतजार के बाद चतरा संसदीय सीट के प्रत्याशी के नाम की घोषणा हो गई। महागठबंधन ने राजद और कांग्रेस खेमे में प्रत्याशी को लेकर लगातार किये जा रहे अलग-अलग दावों पर विराम लगाते हुए चतरा सीट कांग्रेस के खाते मे दे दिया है। जिसके बाद कांग्रेस ने डाल्टेनगंज के पूर्व विधायक सह प्रदेश के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी पर विश्वास जताते हुए उन्हें चतरा लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। डालटनगंज जिले के रेडमा काशी नगर मोहल्ला निवासी कृष्णा नंदन त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाए जाने पर चतरा के भाजपा उम्मीदवार कालीचरण सिंह ने चुटकी ली है। उन्होंने कहा है कि जिन्हें चतरा की जानकारी तक नहीं है। उनसे विकास की उम्मीद अपने आप में बेईमानी होगी। भाजपा प्रत्याशी ने कहा है कि इंडिया एलाइंस में शामिल पार्टियों ने कभी भी स्थानीयता को न ही प्राथमिकता दिया है और ना ही यहां के बेटे को चुनाव लड़ने का ही मौका मिला है। ऐसे में अब जनता जाग चुकी है। महागठबंधन में शामिल पार्टियों को मतदाता जरूर सबक सिखाएंगे।
बीजेपी के चतरा से लोकसभा उम्मीदवार कालीचरण सिंह ने कहा है कि यहां के लोगों की लंबी मांग रही है कि चतरा के स्थानीय बेटे को चुनाव लड़कर यहां के लोगों की सेवा करने का मौका विभिन्न पार्टियों के द्वारा दी जाए। आम जनमानस की भावनाओं का ख्याल रखते हुए विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने मुझ जैसे छोटे कार्यकर्ता को अपना प्रत्याशी बनाकर चतरा के विकास में भागीदारी सुनिश्चित करने का मौका दे दिया है। उन्होंने कहा कि मैं घर-घर का बेटा हूं। किसी के साथ खेला हूं, किसी के साथ पढ़ा हूं। कोई मेरा चाचा है, मैं किसी का काका हूं। ऐसे में घर-घर के लोगों ने तय कर लिया है कि अपने बेटे को ही जिताकर लोकतंत्र के मंदिर में भेजेंगे। कालीचरण सिंह ने कहा कि केएन त्रिपाठी चतरा संसदीय क्षेत्र के रहने वाले ही नहीं हैं। ऐसे में उन्हें यहां के विकास की ना तो चिंता होगी और ना ही यहां के लोगों के दर्द का ही अहसास होगा।
उन्होंने कहा कि मैंने पूर्व में ही कह दिया था कि महागठबंधन में शामिल पार्टियों को मेरे विरुद्ध चुनाव लड़ने के लिए कोई स्थानीय बेटा नहीं मिल रहा है। जिसकी पुष्टि आज एक बार फिर केएन त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाकर इंडिया गठबंधन ने कर दिया है। बाहरी के प्रत्याशी बनने से उनके जीत का आंकड़ा और बढ़ गया है। लोग अब अस्वस्थ हो चुके हैं कि कांग्रेस जैसी पार्टियों को मतदान के दिन सबक सिखाना है।