PlFI सुप्रीमो को सुरक्षाबलों के हर ऑपरेशन की सूचना दे रहा था दारोगा, ऐसे हुआ खुलासा
खूंटी जिला बल के मनोज कच्छप ने झारखंड पुलिस को शर्मसार कर दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार दारोगा मनोज कच्छप ने पुलिसबल के साथ विश्वासघात किया है. बता दें मनोज कच्छप की उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) के 25 लाख के इनामी दिनेश गोप का सहयोगी होने की पुष्टि हो चुकी है। उस पर खूंटी पुलिस के हर अभियान की सूचना को उग्रवादियों तक पहुंचाने के आरोपों की पुष्टि हुई है।आरोपों की पुष्टि के बाद खूंटी के एसपी की अनुशंसा पर रांची रेंज के डीआईजी ने उसे बर्खास्त कर दिया है।
क्या है पूरा मामला
रिपोर्टस के मुताबिक मनोज कच्छप की असलियत तब सामने आयी जब पीएलएफआई के कुख्यात उग्रवादी अवधेश जायसवाल उर्फ चूहा जायसवाल ने मनोज कच्छप के बारे में कई खुलासे किए हैं. बता दें चूहा जायसवाल 2022 से झारखंड पुलिस की गिरफ्त में है. अपने बयान में चूहा ने बताया कि – मनोज का पीएलएफआई उग्रवादियों से काफी करीबी का संबंध है. वह पुलिस की गतिविधियों की सूचना पीएलएफआई उग्रवादियों को देता था. इसके साथ ही उसने बताया था कि खूंटी जिला बल का सब इंस्पेक्टर मनोज कच्छप संगठन के कई कामों में मदद करता था. चूहा जायसवाल के अनुसार, जब मनोज रनिया थाना में पदस्थापित था, उस दौरान वह अपने निजी चालक के साथ संगठन के सुप्रीमो दिनेश गोप के साथ-साथ दूसरे साथियों के साथ मुलाकात करने आता था. इस दौरान वह उग्रवादियों के साथ बैठकर शराब भी पीता था. फिर वह पुलिस की हर गतिविधि की सूचना भी देता था. इसके एवज में संगठन के लोग उसे पैसे भी देते थे. पुलिस की गतिविधियों को उग्रवादियों तक पहुंचाने के लिए जिस मोबाइल फोन का प्रयोग मनोज करता था, उसे संगठन द्वारा ही उपलब्ध कराया गया था. बता दें कि मनोज कच्छप के खिलाफ लगे आरोपों की जांच खूंटी पुलिस अधीक्षक अमन कुमार ने की थी.
एसपी ने विभागीय कार्रवाई के बाद अपनी अनुशंसा में लिखा था कि इस दारोगा का विभाग में बने रहना सुरक्षा के दृष्टिकोण से घातक है। नक्सलियों के विरुद्ध अभियान चल रहा है और झारखंड पुलिस पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप को खोज रही है। ऐसी स्थिति में अभियान की सूचना नक्सलियों तक पहुंचने से अभियान में शामिल सुरक्षा बलों की जान खतरे में पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता है।