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1705 पेड़ों को कटने से बचाने के लिए तीन घंटे तक पेड़ो से चिपके रहे लोग, कोयला खनन के लिए होनी थी कटाई

CHIPKO

1705 पेड़ों को कटने से बचाने के लिए तीन घंटे तक पेड़ो से चिपके रहे लोग, कोयला खनन के लिए होनी थी कटाई

झारखंड के धनबाद में चिपको आंदोलन किया गया. पेड़ों को काटने से रोकने के लिए स्थानीय लोगों ने चिपको आंदोलन जैसा ही तरीका अपनाया. दरअसल, पुटकी 13 नंबर में कोयला खदानों के खनन के लिए बीसीसीएल के अधिकारी मंगलवार को 1705 पेड़ों को काटने के लिए मशीनें लेकर पहुंचे.पुटकी के स्थानीय लोगों ने इन अधिकारियों का विरोध किया और अपने विरोध प्रदर्शन में वे पेड़ों से चिपक गए. लोगों ने अधिकारियों को चुनौती देते हुए कहा कि- पेड़ नहीं काटने देंगे. अगर पेड़ों को काटना ही है, तो पहले हमें ही काट डालें। बता दें स्थानीय लोग तीन घंटे तक पड़ों से चिपके रहे और बीसीसीएल की टीम कटर के साथ गाड़ियों में बैठी रही।

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क्या है पूरा मामला

रिपोर्ट्स के मुताबिक पुटकी के 13 नंबर में कोयला खनन के लिए नया आउटसोर्सिंग पैच शुरू किया जाना है। डीएवी अलकुसा के सामने 25 हेक्टेयर क्षेत्र से 3.15 लाख टन कोयला खनन करने का लक्ष्य है। इस काम के लिए एसटीजी एसोसियट्स नामक कंपनी को वर्क ऑर्डर दिया जा चुका है। करार के मुताबिक, वहां लगे 1705 पेड़ों को काटने और 329 को ट्रांसप्लांट करने के बाद जमीन कंपनी को सौंपी जानी है।

पेड़ बचाने के लिए आंदोलनरत पर्यावरण बचाओ संघर्ष मोर्चा का कहना है चिह्नित जगह पर 7 हजार से अधिक पेड़ हैं, लेकिन अफसर उनकी संख्या महज 2034 बता रहे हैं, ताकि हो-हल्ला कम हो।

वापस लौटी बीसीसीएल की टीम

हालांकि इस आंदोलन की खबर जब डीएफओ विकास पालीवाल तक खबर पहुंची, तो उन्होंने बीसीसीएल के पीबी एरिया के जीएम अरुण कुमार और पीओ एके वर्मा को धनबाद तलब तक जरूरी हिदायतें दीं। उसके बाद बीसीसीएल की टीम मौके से लौट गई।लेकिन इस आंदोलन को लेकर एक और पहलू भी सामने आया है. कुछ बीसीसीएल के कुछ अधिकारियों का कहना है कि खनन स्थल के पास 90 आवास जमीन का अतिक्रमण कर बनाए गए हैं। उनमें रहने वाले ही आंदोलन के नाम पर विरोध जता रहे हैं।

स्थानीय लोगों से बात करते हुए माइंस मैनेजर अभिराज ने कहा कि जितने पेड़ कटेंगे, उससे 10 गुना नए पौध लगाए जाएंगे। इसके लिए वन विभाग को राशि दी जाएगी। सड़क और रेल लाइन से 100-100 मीटर दूर तक के क्षेत्र इससे अछूते रहेंगे। फिर भी बात नहीं बन पाई. स्थानीय लोग अपने आंदोलन को लेकर अड़े रहे.

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