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Sunday, May 19, 2024
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माड़ भात खाकर झारखंड की शांति ने वीमेंस प्रीमियर लीग में बनाई अपनी जगह, प्रेरित करती संघर्ष की कहानी, जानें

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सौजन्य -न्यू़ज18

झारखंड के युवाओं में खेल प्रेम कुछ अलग है. झारखंड के खिलाड़ी सभी खेलों में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं. यहां के खिलाड़ियों की खास बात है कि वे हालातों के सामले घुटने नहीं टेकते बल्कि डटकर उसका सामना करते हैं. आज हम बात कर रहे हैं झारखंड की एक क्रिकेटर की जिसका सेलेक्शन वीमेंस प्रीमियर लीग में हो गया है. उनका नाम है शांति कुमारी. शांति रामगढ़ की रहने वाली हैं. बता दें कि शांति का जीवन संघर्षों से भरा रहा है. शांति अपने सेलेक्शन से पहले गरीबी का दंश झेल चुकी हैं. कभी माड़ भात खाकर गुजारा करने वाली इस खिलाड़ी को आज वीमेंस प्रीमियर लीग के ऑक्शन में 25 लाख रु. में शॉर्टलिस्ट किया गया है.

शांति का सफर
News18 के साथ बतचीत में शांति ने बताया कि- आज जो भी कुछ हूं सब परिवार व दोस्तों के बदौलत है. मेरे पापा का नाम जलेश्वर करमाली व मां का नाम सुंदरी देवी है, मेरी तीन बड़ी बहन, एक छोटी बहन व एक छोटा भाई है. इन सबका योगदान मेरी जीवन में काफी अहम है. घर की माली हालत ठीक नहीं थी, आसपास के लोग कहते थे लड़की क्रिकेट नहीं खेलती बल्कि घर संभालती है, पर पापा ने दुनिया को छोड़ मेरा साथ दिया व खेती कर मेरी सारी जरूरतों को पूरा किया है. कभी-कभी माड भात खाकर भी गुजारा करना पड़ता था.

फुटबॉल से की शुरुआत
शांति ने बताया कि- मैं बचपन से फुटबॉल खेलती थी फिर 2014 से मैनें क्रिकेट खेलना शुरू किया.मुझे पसंद था क्रिकेट लेकिन मुझे यही नहीं पता था कि लड़कियों की भी क्रिकेट टीम होती है. जब पता चला तो मन लगाकर अपनी सारी ताकत क्रिकेट में दे डाली. 1 साल की तैयारी में मैंने झारखंड स्टेट के लिए खेला शुरू कर दिया था. 22 वर्षीय राइट हैंड पेस बॉलर शांति कहती है, 15 साल की उम्र से कैंटोनीस झारखंड के लिए खेलते आ रही हूं.

घरवाले,दोस्त और कोच का रहा विशेष योगदान
शांति के इस मुकाम तक पहुंचने में घरवालों और उनके चार दोस्तों ने हमेशा उनका साथ दिया है. शांति बताती हैं कि -कोच प्रवीण सर ने हमें काफी सपोर्ट किया.खराब परफॉर्मेंस होता तब भी वह हमें सही मार्गदर्शन देते आज उनके मार्गदर्शन का नतीजा है कि हम सही रास्ते पर व सही चीजें कर रहे हैं. वहीं अन्य कोच चंचल भट्टाचार्य,आशीष सर सीमा मैम का विशेष योगदान रहा है.

शांति ने बताया कि उन्हें खाने में झारखंड का प्रसिद्ध नास्ता धुस्का और मडुआ चीला बहुत पसंद है. और उन्हें खाली समय में डायरी लिखना काफी अच्छा लगता है.

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