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Sunday, May 5, 2024
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सम्मेद शिखरजी में होंगे सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम ,जानें कैसी होगी सुरक्षा व्यवस्था

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जैन समाज पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने के फैसले का लंबे समय से विरोध कर रहा है. इस मामले पर राज्य सरकार, राज्यपाल और केंद्र सभी विचार कर रहे है. फिलहाल झारखंड सरकार ने गिरिडीह उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक को तत्काल पारसनाथ क्षेत्र को मांस मदिरा मुक्त करने का निर्देश दिया है. और सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने का आदेश दिया है.

एक झलक पूरे मामले पर

हाल ही में केंद्र और झारखंड सरकार की ओर से एक नोटिस जारी किया गया था, नोटिस में सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने की बात कही गई है. आपको बता दें सम्मेद शिखरजी झारखंड के गिरीडीह के पारसनाथ पहाड़ियों में जैन समुदाय सबसे बड़ा तीर्थस्थल है.

पारसनाथ को राज्य सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किए जाने पर जैन समाज इस फैसले का विरोध कर रहा है.

जैन समाज का मानना है कि इसे पर्यटन क्षेत्र बनाये जाने से पर्यटक यहां आकर मांस, शराब का सेवन कर सकते हैं. इससे यहां की पवित्रता भंग होगी. सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना में मछली और मुर्गी पालन के लिए भी अनुमति दी गई है. अहिंसक जैन समुदाय के लिए अपने पवित्र तीर्थक्षेत्र में ऐसे कार्य असहनीय है.

इस संदर्भ में विश्व जैन संगठन द्वारा 26 मार्च 2022, 6 जून 2022, 2 अगस्त 2022 और 11 दिसम्बर 2022 को देशव्यापी शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन ‘श्री सम्मेद शिखर जी बचाओ आंदोलन’ के नाम से किया गया.  

जैन समुदाय अभी भी लगातार इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहा है.

झारखंड के राज्यपाल ने केंद्रीय मंत्री को लिखी चिट्ठी

इस मामले को लेकर झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है. पत्र के माध्यम से राज्यपाल ने मांग की है कि- जैन समाज के लोगों की भावनाएं आहत न हों, उनकी आस्था को ध्यान में रखते हुए इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए और पारसनाथ पर्वतराज व मधुवन को पवित्र जैन तीर्थस्थल ही रहने दिया जाए. 

राज्यपाल ने पत्र में लिखा कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2019 में वन्य जीव अभ्यारण्य का एक भाग घोषित कर ईको सेंसटिव जोन के अंतर्गत रखा गया था. झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन स्थल घोषित कर दिया.

राज्यपाल ने कहा कि यह पवित्र स्थल दुनिया भर में जैन धर्मावलम्बियों का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है और उनके 24 में से 20 तीर्थंकरों के निर्वाण (मोक्ष) स्थल है. यह पूरे विश्व के जैन समाज के लोगों की आस्था से जुड़ी है.

पर्यावरण मंत्रालय ने झारखंड सरकार को लिखा था पत्र

वन महानिदेशक सीपी गोयल ने झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखा. पत्र में उन्होंने कहा कि- मंत्रालय को जैन समुदाय और अन्य लोगों से कई अभ्यावेदन मिल रहे हैं. इसमें कहा गया है कि पारसनाथ अभयारण्य जैन आध्यात्मिकता का गर्भगृह है. इसलिए वहां ईको-टूरिज्म जैसी गतिविधियों के आदेश ने उनकी भावनाओं को आहत किया है.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने झारखंड सरकार को पत्र लिखकर जैन समुदाय की तरफ से जताई जा रही आपत्ति पर विचार करने के लिए कहा था.

झारखंड सरकार का फैसला

फिलहाल झारखंड सरकार ने स्थिति को सामान्य करने हेतु त्वरित फैसला लिया है. राज्य सरकार ने  गिरिडीह उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक को तत्काल पारसनाथ क्षेत्र को मांस मदिरा मुक्त करने का निर्देश दिया है.

साथ ही पारसनाथ वंदना मार्ग में श्रद्धालुओं की सुरक्षा का भी आदेश दिया है इसको लेकर शनिवार को गिरिडीह उपायुक्त नमन प्रियेश ने 25 होमगार्ड जवानों की नियुक्ति करने के लिए सरकार से अनुमति मांगी है।

इसके अलावा गिरिडीह डुमरी मार्ग में से मधुबन प्रवेशद्वार होते हुए पारसनाथ की तलहटी से शिखरजी तक मांस मदिरा वर्जित क्षेत्र का बोर्ड लगाने का निर्णय लियागया है.

इस क्षेत्र में 24 घंटे पेट्रोलिंग होगी. अगर फिर भी कोई मांस मदिरा की खरीद-बिक्री अथवा सेवन करते पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही करने की बात कही है।

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